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Sunday, July 29, 2012

न निराश करो मन को


मैथिलीशरण गुप्त
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त


नर हो न निराश करो मन को
कुछ काम करो कुछ काम करो

जग में रहके निज नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो न निराश करो मन को

संभलो कि सुयोग न जाए चला
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला
समझो जग को न निरा सपना
पथ आप प्रशस्त करो अपना
अखिलेश्वर है अवलम्बन को
नर हो न निराश करो मन को

जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो
उठके अमरत्व विधान करो
दवरूप रहो भव कानन को
नर हो न निराश करो मन को

निज गौरव का नित ज्ञान रहे
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे
सब जाय अभी पर मान रहे
मरणोत्तर गुंजित गान रहे
कुछ हो न तजो निज साधन को
नर हो न निराश करो मन को

Wednesday, October 26, 2011

***** शुभ दीपावली.....!! *****



शुभ दीपावली.....!!.. अर्थ -वैभव व् समृद्धि की परिपूर्णता का परिचायक पर्व दीपावली शुभ हो …

दीपावली का यह पावन पर्व आप सभी के लिए, 
और राष्ट्र के लिए, सुख, वैभव और सुरक्षा का कारक बने ,
यही , प्रभु के श्रीचरणों में विनती है..
...
छोटा सा एक, दीप जलायें।
मानव-मन को पुन: मिलायें।।
अंधकार से ढका विश्व है,
दीप से दीप जलाते जायें।

चौराहे पर रक्त बह रहा,
नारी नर को कोस रही है,
नर नारी का खून पी रहा,
लक्ष्मीजी चीत्कार रही हैं।

राम का हम हैं, स्वागत करते
रावण मन के अन्दर बस रहा।
लक्ष्मी को है मारा कोख में
अन्दर लक्ष्मी पूजन हो रहा।

आओ शान्ति सन्देश जगायें
हर दिल प्रेम का दीप जलायें।
बाहर दीप जले न जले,
सबके अन्दर दीप जलायें।

विद्वता बहुत हाकी है अब तक,
पौथी बहुत बांची हैं अब तक,
हर दिल से आतंक मिटायें,
छोटा सा एक, दीप जलायें।

दीवाली का पर्व हम सबको आत्मचिन्तन एवं आत्मनिरीक्षण का सन्देश देता है। यह पर्व अन्धकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक भी है। बाहर रोशनी बढ़ती जा रही है। हमारे अन्दर व्याप्त ..अज्ञान, अविद्या, पाखण्ड, विषय-वासना, असन्तोष, ईर्ष्या, द्वेष आदि अँधेरे का विनाश हो , यही दीपावली सन्देश है....!!
धन तेरस, छोटी दिवाली , और दीपावली का महान पर्व , सिध्हि विनायक , और माँ लक्ष्मी से शुभ और वैभव की याचना ( कामना) करने के पर्व है... !!

***** दिवाली की बधाई *****


सफलता कदम चूमती रहे, ख़ुशी सदा पास रहे,
यश इतना फैले की दिशायें रोशन हो जाएँ,
लक्ष्मी इतनी बरसे की दामन छोटा पड़ जाए,

दीप जलते जगमगाते रहे,
आप हमें और हम आपको याद आते रहे,

जब तक ज़िन्दगी है, दुआ है हमारी,
आप चाँद की तरह जगमगाते रहे,

आई आई दिवाली आई, साथ में कितनी खुशियाँ लायी,
धूम मचाओ, मौज मनाओ,

आप सभी को दिवाली की बधाई.

***** शुभ दीपावली -2011 *****


जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना
अन्धेरा धरा पर कहीं रह न जाये


नयी ज्योति के धर नये पंख झिलमिल,
उडे मर्त्य मिट्टी गगन स्वर्ग छू ले,


लगे रोशनी की झडी झूम ऐसी,
निशा की गली में तिमिर राह भूले,


खुले मुक्ति का वह किरण द्वार जगमग,
उषा जा न पाये, निशा आ ना पाये


जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना
अन्धेरा धरा पर कहीं रह न जाये

शुभ दीपावली-2011

आओं मिलकर दिल जलाएं...
जगमग जगमग धरती हो जाएँ..
दीपों से दीप जलाकर हम....
घर चोबरें में उजियारा करें...
भेदभाव हम सभी भुलाकर...
मन का तमस/अँधेरा दूर करें...
हंस-खुशकर ये त्यौहार मनाएं..
बम पटाखों से होता शोर...
आतिशबाजी का होता जोर....
जगमग जगमग दीवाली में..
सावधानी भी बरती/रखी जाएँ..
दीवाली के इस शुभ प्रकाश में..
आती होठों पर मुस्कान...
लक्ष्मी -गणेश के पूजन से...
सबको मिले सुबुद्धि,धन का वरदान...
सभी के घर आँगन रिद्धि-सिद्धि आये..
आओ मिलकर दीप जलाएं...
जगमग-जगमग धरती हो जायें...

Tuesday, September 13, 2011

देखेगा कौन...

बगिया में नाचेगा मोर
देखेगा कौन?
तुम बिन ओ मेरे चितचोर
देखेगा कौन?

नदिया का यह नीला जल,
रेतीला घाट.
झाऊ की झुरमुट के बीच
यह सूनी बाट.

रह-रह कर उठती हिलकोर
देखेगा कौन?
आंखडियों से झरते लोर
देखेगा कौन?

बौने ढाकों का यह वन,
लपटों के फूल.
पगडण्डी के उठते पांव
रोकते बबूल.

बौराए आमों की ओर
देखेगा कौन?
पाथर-सा ले हिया कठोर
देखेगा कौन?

नाचती हुई फुलसुंघनी,
वनतीतर शोख.
घांसों में सोनचिरैया,
डाल पर महोख.

मैना की ये पतली ठोर
देखेगा कौन?
कलंगीवाले ये कठफोर
देखेगा कौन?

आसमान की ऐंठन-सी,
धुंए की लकीर.
ओर-छोर नापती हुई,
जलती शहतीर!

छू-छू कर साँझ और भोर
देखेगा कौन?
दुखती यह देह पोर-पोर
देखेगा कौन?
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शम्भुनाथ सिंह
(धर्मयुग २०-०९-१९८१)

बेटा / बेटी

अगर बेटा वारस है,तो बेटी पारस है l
अगर बेटा वंश है,तो बेटी अंश है l
अगर बेटा आन है,तो बेटी शान है l
अगर बेटा तन है,तो बेटी मन है l
अगर बेटा मान है,तो बेटी गुमान है l
अगर बेटा संस्कार,तो बेटी संस्कृति है l
अगर बेटा आग है,तो बेटी बाग़ है l
अगर बेटा दवा है,तो बेटी दुआ है l
अगर बेटा भाग्य है,तो बेटी विधाता है l
अगर बेटा शब्द है,तो बेटी अर्थ है l
अगर बेटा गीत है,तो बेटी संगीत है l
अगर बेटा प्रेम है,तो बेटी पूजा है l